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12-12-18

डॉ0 कलाम कृषि महाविद्यालय के नवनिर्मित प्रशासनिक भवन का मुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन


मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत अर्राबाड़ी स्थित डॉ0 कलाम कृषि महाविद्यालय के नवनिर्मित प्रशासनिक भवन का उद्घाटन फीता काटकर एवं शिलापट्ट का अनावरण कर किया। उद्घाटन के पश्चात मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक भवन का मुआयना किया। उन्होंने डिजिटल क्लास रुम, एग्रीकल्चरल एनटोमोलॉजी, इनसेक्ट्स म्यूजियम एवं कम्प्यूटर लैब का भी मुआयना किया एवं विभिन्न चीजों की जानकारी प्राप्त की। महाविद्यालय परिसर में ही स्थित कृषि विकास मेला 2018 का मुख्यमंत्री ने फीता काटकर उद्घाटन किया। उन्होने मेले में लगाए गए विभिन्न स्टॉलों का भी निरीक्षण किया। इसमें सामाजिक परिवर्तन के लिए चलायी जा रही ई-तालिम शिक्षा, जीविका, महिला उत्पादक समूहों द्वारा तैयार की गई चीजें, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर) कृषि विज्ञान केंद्र किशनगंज, मात्स्यिकी महाविद्यालय किशनगंज के द्वारा लगाए गए स्टॉलों पर विशेषज्ञों से भी मुख्यमंत्री ने जानकारी प्राप्त की। 

मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत लाभुकों को वाहन वितरित किया एवं कन्या उत्थान योजना के तहत जन्म के बाद दी जाने वाली राशि से संबंधित चेक भी कन्या के माता-पिता को दिया गया। कृषि विज्ञान केंद्र के स्टॉल पर मुख्यमंत्री ने सलाह दी कि लोकल दलहन की प्रजाति को फिर से स्थापित करने के लिए काम करें। साथ ही यह भी सुझाव दिया कि क्लाइमेट को ध्यान में रखते हुए बीजों की प्रजाति विकसित करें। कृषि मेले में भ्रमण के पश्चात मुख्यमंत्री ने महानंदा नदी पर बनाए गए तटबंध का भी निरीक्षण किया। साथ ही कलाम कृषि महाविद्यालय परिसर में बने अन्य भवनों एवं अन्य आधारभूत संरचनाओं का भी वाहन से निरीक्षण किया। 

मुख्यमंत्री के समक्ष नवनिर्मित प्रशासनिक भवन में ही डॉ0 कलाम महाविद्यालय के विस्तार से संबंधित रोड मैप का प्रस्तुतिकरण किया गया। प्रस्तुतिकरण में इस महाविद्यालय से जुड़े हुए छात्रावास, स्पोर्ट्स क्लब, चिकित्सा केंद्र, अतिथि गृह, परिसर में कर्मियों के बच्चों के लिए बनाए गए स्कूल, सुविधा केंद्र के बारे में विस्तार से बताया गया। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य के तहत किये जा रहे प्रयासों के बारे में भी चर्चा हुई। खेती के लिए उन्नत तकनीक, फसलों के विकास के लिए शोध के संबंध में जानकारी दी गई। कौशल विकास के तहत चलाए गए कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में भी प्रस्तुतीकरण में जानकारी दी गयी। प्रस्तुतीकरण में शामिल अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि बी0एस0सी0 एग्रीकल्चर का फाइनल बैच अब पास आउट होने वाला है, उसके बाद आई0सी0ए0आर0 को एक्रेडेशन के लिए अप्लाई किया जाएगा। मुख्यमंत्री को जानकारी दी गयी कि यहां छह विषयों (विभाग) में पी0जी0 एवं रिसर्च से संबंधित पढ़ाई होगी। फिशरीज से संबंधित प्रस्तुतिकरण भी दी गई। प्रस्तुतिकरण को ध्यान से देखने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉलेज का साइट बहुत ही उत्तम है। बगल में महानंदा नदी है, यहां का वातावरण भी मनोरम है। किशनगंज को भी पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र के रुप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस कैम्पस की बाउंड्री के किनारे-किनारे पेड़ लगाने की जरुरत है ताकि यह क्षेत्र हरा-भरा दिखे। यहां जमीन की लेबलिंग जल्द से जल्द करायी जाए। उन्होंने कहा कि इस परिसर में बड़े-बड़े तालाब बनवाने की जरुरत है। पांच एकड़ के तालाब में सोलर प्लांट लगाएं, जिसमें नीचे मछली का उत्पादन हो और ऊपर सौर ऊर्जा का उत्पादन हो। उन्होंने कहा कि इस परिसर में जितनी भी बिल्डिंग बनी हैं, उन सारी बिल्डिंगों के ऊपर सोलर प्लेट लगवाएं, उससे उत्पादन होने वाली बिजली की खपत इस परिसर में हो और बची हुयी बिजली को ऊर्जा विभाग के माध्यम से उपभोक्ताओं को भी दिया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि यहां बनाए जाने वाले तालाब में पानी भरने के लिए सोलर पंप ही लगवायें। उन्होंने कहा कि एनिमल हस्बेंड्री के लिए बनाए जाने वाले कॉलेज के लिए प्लांट को और बड़ा बनाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां पर ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन में वृद्धि हो ताकि उसका एक्सपोर्ट किया जा सके। यहां के किसानों का रुचिकर फल है पाईन एप्पल, इसको भी विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि यहां जो तटबंध बने हैं, उससे बगल के गांव और खासकर इस संस्थान की सुरक्षा होगी। मुख्यमंत्री के समक्ष कम्युनिटी साइंस, होम साइंस का अलग कॉलेज खोलने का प्रस्ताव रखा गया, जिसके बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां इसका सेंटर पहले खुलवाइये उसके बाद वो अपनी उपयोगिता सिद्ध करे तो इस सेंटर को विकसित कर कॉलेज रुप में परिणत किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने सुझाव देते हुए कहा कि यहां बैंक का ब्रांच जरुर खुलवायें। उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने का निर्देश दिया और कहा कि इस परिसर में जहां बालू अधिक है वहां परवल, खीरा, तरबूज जैसे फलों का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म के लिए किशनगंज बेहतर साइट प्रतीत होता है।