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13-07-19

जल जीवन और हरियाली अभियान पूरे बिहार में चलाया जायेगा- मुख्यमंत्री


मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज सेंट्रल हॉल, विस्तारित भवन, बिहार विधानसभा में आयोजित “राज्य में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाजनक स्थिति पर विमर्श” कार्यक्रम में शामिल हुये। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष एवं बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति को इस बात के लिए विशेष तौर पर बधाई देता हूॅ कि इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसी सेंट्रल हॉल में 27 जून को नवनियुक्त कर्मियों के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में मैंने जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न परिस्थिति की संक्षिप्त चर्चा की थी। आज के इस कार्यक्रम में सभी जनप्रतिनिधियों द्वारा इस विषय पर एक साथ चर्चा करने से बहुत बातें सामने आएगी। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से वर्षापात में गिरावट, भूजल स्तर में गिरावट, पेयजल संकट, सूखे की स्थिति, बाढ़ की स्थिति जैसी कई अनेक समस्यायें उत्पन्न हो रही है। सभी जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र में लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरुक करना चाहिये, उनसे पर्यावरण संबंधी बातों पर चर्चा करने से लोगों में इसके प्रति जागृति आएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के संबंध में 03 जून को संबंधित विभाग की बैठक की गई थी। पहले से ही एस0ओ0पी0 का गठन किया गया है, जिसमें यह स्पष्ट है कि उत्पन्न परिस्थिति में क्या-क्या करना है और किन-किन चीजों पर निगरानी रखनी है। सभी संबद्ध विभागों को इसके लिये जिम्मेवारी तय की गयी है। जल संसाधन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग विशेष तौर पर कार्य कर रहा है। 06 जुलाई को भी संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के संबंध में संबंधित विभागों के साथ बैठक कर विस्तृत चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिनों से नेपाल और उत्तर बिहार में वर्षा हो रही है, जिससे कई नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए सभी तैयारी कर ली गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 जून से मॉनसून की शुरुआत होती है लेकिन अब माॅनसून के आने का समय भी पीछे हो गया है। मौसम विज्ञान विभाग के लोगों ने पिछले वर्ष सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान लगाया था। इस वर्ष भी जून माह में कम वर्षा हुई, जिसकी संभावना मैंने भी जतायी थी। पहले यहां वर्षापात 1200-1500 मि0मी0 होती थी लेकिन पिछले 30 वर्ष के औसत आंकलन के आधार पर 1000 मि0मी0 वर्षा हुई है। पिछले 13 वर्षों से यहाॅ औसत वर्षा 778 मि0मी0 हुई है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रीन गैस प्रभाव के कारण तापमान बढ़ा है, जिससे जलवायु में परिवर्तन आया है। कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड आदि गैसों की मात्रा बढ़ी है। वाहनों की बढ़ती संख्या, कारखानों के उपयोग, विकास के बदलते पैमाने जैसे अन्य कारकों से वातावरण में प्रदूषण बढ़ा है। अप्राकृतिक कारणों के माध्यम से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने कहा कि हर घर नल का जल उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन पेयजल का दुरुपयोग न हो, इसके लिए लोगों को सजग करना होगा। हर घर बिजली उपलब्ध करा दिया गया है, यह लोगों की जरुरत थी। हमलोग अक्षय ऊर्जा यानि सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। सभी सरकारी दफ्तरों के छतों पर सौर प्लेट लगाने की योजना है। उन्होंने कहा कि भू-जल का स्तर गिरता जा रहा है। सार्वजनिक चापाकलों को ठीक किया जा रहा है। सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। औसतन 2 से 7 फीट जलस्तर में गिरावट आयी है। रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए काम किया जाएगा। इसकी योजना बनायी गई है। उन्होंने कहा कि फसल की कटाई के बाद अवशेषों को जलाने से न सिर्फ वातावरण में प्रदूषण फैलता है बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में तापमान में बढ़ोतरी होनेे से मगध क्षेत्र में कई लोगों की मृत्यु हुई थी। वज्रपात होने से भी कई लोगों की मृत्यु हुई। मुजफ्फरपुर में ए0ई0एस0 से कई बच्चों की मौत हुई है। वातावरण में आ रहे बदलाव के कारण भी यह संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार के बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण क्षेत्र काफी कम हो गया था। राज्य का हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। 22 करोड़ पौधे लगाए गए हैं। अब बिहार का हरित आवरण क्षेत्र 15 प्रतिशत हो गया है और इसे 17 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ितों एवं सूखा से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए कई कार्य किए जाते हैं। हमारा मानना है कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। आपदा की स्थिति में जनप्रतिनिधियों को अपने इलाके में लोगों की मदद में तत्पर रहना चाहिए। सामान्य दिनों में जनप्रतिनिधियों को अपने इलाके में अन्य चीजों के बारे में लोगों को जागरुक करते रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि हमलोगों का प्रयास हो कि कैसे हरियाली बढ़ायें, जल संरक्षण कैसे हो। ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अन्य देशों में हो रही है। बिहार में भी इसकी चर्चा हो रही है। यहां से हमलोग इसके लिए काम करेंगे तो इसका प्रभाव बिहार के बाहर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिये जो योजनायें बनायी जायेगी, जो अभियान चलाए जायेंगे वह और प्रभावी होगा, जब आपलोगों की राय सामने आयेगी। आज के इस विमर्श में इतनी संख्या में आप सबकी उपस्थिति मन में उल्लास पैदा करता है।

विमर्श में लगभग आठ घंटे तक मंथन हुआ। साठ से अधिक बिहार विधानमण्डल के सदस्यों ने अपने-अपने विचार एवं सुझाव दिये। 130 से अधिक सदस्यों ने अपने लिखित विचार सुपुर्द किये। 

इसके पश्चात मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अपने समापन एवं नीतिमूलक संबोधन में बिहार विधानसभा अध्यक्ष और बिहार विधान सभा के कार्यकारी सभापति को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सदन के चालू सत्र में विधानसभा अध्यक्ष एवं सभापति ने अनेक बार सभी सदस्यों से पर्यावरण पर चर्चा के लिए संयुक्त बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया था ताकि सदस्यों के विचार एवं सुझाव को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुरूप नई योजना का निर्धारण कर उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित की जाय। उन्होंने कहा कि आज के इस विमर्श में बड़ी संख्या में सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किये हैं। मैं उन सभी लोगो को हृदय से धन्यवाद देता हूँ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की यह संयुक्त बैठक काफी महत्वपूर्ण और एतिहासिक है और इसका संदेश भी पूरी तरह से स्पष्ट है। इसमें कही गयी एक-एक बात को नोट किया गया है साथ ही प्रोसिडिंग भी रिकार्डेड है। इसका मकसद सिर्फ बैठक करना नहीं है बल्कि इसके आधार पर आगे की महत्वपूर्ण, प्रभावी एवं आवश्यक योजना बनाकर उसका क्रियावयन करना है ताकि जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न विभिन्न प्रकार के संकटों से लोगों को निजात दिलाई जा सके। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल, जीवन और हरियाली अभियान पूरे बिहार में चलाया जायेगा। जल, जीवन और हरियाली अभियान को लेकर एक नई योजना के साथ-साथ उसके क्रियान्वयन की भी रणनीति तैयार की जायेगी। हमलोगों को पूरे बिहार में इफेक्टिव तरीके से काम करने के साथ ही उसके मोनिटरिंग का भी प्रबंध करना होगा। माॅनिटरिंग के लिए एक इंडिपेंडेंट बॉडी बनेगी जिसमे सभी दलों के लोग शामिल रहेंगे ताकि पूरी पारदर्शिता के साथ नियमित रूप से काम होता रहे। अधिकारियों को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक माह के अंदर जल, जीवन और हरियाली अभियान ही नहीं बल्कि इसकी एक योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन भी शुरू करा दें। इसके लिए जो धनराशि की आवश्यकता होगी उसका प्रबंध सपलमेंट्री बजट के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमलोगों के यहाँ खतरा कम है, इसके पहले ही हमलोग सचेत हो जायेंगे तो दूसरे जगह के लोग आकर उसे देखेंगे और अडॉप्ट करेंगे। आज की यह बैठक असाधारण और प्रभावकारी है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में बिहार के लोग काफी अलग हैं। सामाजिक, प्राकृतिक जैसे विषयों पर बिहार के लोग सदैव एकजुटता दिखाते हैं, जिससे उत्साह पैदा होता है। इस विषय पर पूरे बिहार के लोग गंभीर और एकजुट हैं। आज का दिन पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में आपसी एकजुटता के रूप में याद करने वाला होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चंपारण सत्याग्रहं के दौरान गांधी जी ने स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागृत किया था। गाँधी जी का मानना था कि यह धरती हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती है लालच को नहीं। सबसे बड़ी बात है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जो वातावरण में परिवर्तन हो रहा है। यदि उसके विषय में लोगों को बताया जाय तो अपनी रक्षा के लिए वे स्वयं सजग हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि आज जो चर्चा हुई है उससे यह साफ हो गया है कि जल, जीवन और हरियाली की रक्षा हो। बिहार में हरित आवरण 9.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया है और हमलोगों का लक्ष्य इसे बढ़ाकर 17 प्रतिशत तक करना है। 1 अगस्त से वृक्षारोपण का काम इस बार पुनः शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि जो छोटे-छोटे जलाशय है उसका पंचायत स्तर पर जबकि बड़े जलाशयों के जीर्णोद्धार एवं रखरखाव का काम लघु जल संसाधन विभाग के द्वारा किया जाएगा। जलाशयों को अतिक्रमण मुक्त बनाने की दिशा में भी कार्रवाई की जायेगी। सार्वजनिक कुंओं का जीर्णोद्धार करने के साथ-साथ उसे बेहतर बनाने के लिए चिन्हित किया जा रहा है, इससे जल संरक्षण में सहूलियत होगी। जल सोखता का भी निर्माण किया जायेगा ताकि इसके माध्यम से पानी भूगर्भ में चला जाए। पहाड़ी क्षेत्रों में भी हरियाली बढ़ाने की कवायद चल रही है। उन्होंने कहा कि तालाब और झीलों का निर्माण कराकर जहां तक संभव हो उसमे वर्षा का पानी का संग्रह किया जाएगा ताकि भविष्य में उसका उपयोग किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञान और निर्वाण की भूमि गया में भी टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति करना पड़ता है इसलिए गया, राजगीर जैसे महत्वपूर्ण और एतिहासिक जगहों पर पर्याप्त पानी पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके लिए धनराशि की समस्या नहीं है और न ही यह काम असंभव है, इसके लिए ईमानदार प्रयास करना होगा। दिल्ली में किस प्रकार से पानी मुहैया कराया जाता है, यह सर्वविदित है। उन्होंने कहा कि कम पानी वाले क्षेत्रों में पाइपलाइन के जरिये पानी पहुंचाकर उसका संरक्षण एवं उपयोग की व्यवस्था का प्रबंध किया जाएगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक खेती को अधिक से अधिक बढ़ावा देना होगा। सब्जी के तर्ज पर जैविक तरीके से अन्य फसलों की खेती करने पर अनुदान उपलब्ध कराने की दिशा में आगे विचार किया जाएगा। 

विमर्श को अध्यक्ष बिहार विधानसभा श्री विजय कुमार चैधरी, कार्यकारी सभापति बिहार विधान परिषद श्री हारून रसीद, उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन संसदीय कार्य मंत्री श्री श्रवण कुमार ने किया।  

कार्यक्रम में ग्लोबल वार्मिंग पर एक लघु फिल्म दिखायी गई। आपदा प्रबंधन, कृषि, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, ग्रामीण कार्य, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने भी अपने-अपने विभाग से संबंधित एक प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर राज्य सरकार के मंत्रीगण, बिहार विधानमंडल के सदस्यगण, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, विकास आयुक्त श्री सुभाष शर्मा सहित संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव/सचिव एवं अन्य वरीय अधिकारीगण उपस्थित थे।