पटना, 18 अक्टूबर 2016 :-
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज अधिवेशन भवन में बिहार कला सम्मान समारोह
बिहार कला दिवस कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया | इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन कला दिवस के लिए चयन किया गया है
क्योंकि आज ही के दिन 1917 में चंवरधारिणी यक्षिणी की मूर्ति पटना के पूर्वी इलाके
में गंगा किनारे प्राप्त हुयी थी | मूर्ति के पीछे वाले हिस्से पर कपड़ा धोने के
कर्म में वहाँ सांप दिखा तो उसे मारने के लिए मूर्ति को हटाया गया और इस अद्भुत
मूर्ति की प्राप्ति हो गयी | मुख्यमंत्री ने कहा की जिस भी कलाकार ने बनाया होगा,
उस कलाकार ने ययक्षिणी की इस मूर्ति में अपनी साडी कल्पना निचोड़ दी है | उन्होंने
कहा की इतिहास के पन्नों में गम हो गये उस अनजान कलाकार ने जितनी लगन से इसे बनाया
है, वो देखते ही बनता है | इस मूर्ति को उस समय के प्रचलित सभी आभूषण पहनाये गये
हैं | इस अद्भुत मूर्ति की प्रशंसा हर जगह होती है, इसे पटना म्यूजियम में रखा गया है | इस अदभुत यक्षिणी की मूर्ति को आप
जितनी बार देखेंगे, जिस एंगिल से देखेंगे, उसमें आपको कुछ खासियत जरुर दिखेगी |
मुख्यमंत्री ने कहा की यक्षिणी की इस मूर्ति के
प्राप्त होने के आज सौंवें साल पर शताब्दी वर्ष मनाया जायेगा और इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित होंगे |
मुख्यमंत्री ने कहा की इस कला वर्ष के अवसर par बिहार, देश और देश बाहर के 25
कलाकार आमंत्रित किये गये हैं, जो स्ट्रीट आर्ट बनायेंगे | इनके द्वारा अन्य
आकृतियों के आलावा बापू के जीवन पर आधारित, गुरु गोविन्द सिंह के जीवन पर आधारित
स्ट्रीट आर्ट बनायेंगे | उन्होंने कहा की पुर्रे वर्ष कार्यक्रम होगा और चाहे वह प्रदर्श
कला हो या चाक्षु कला हो, सभी क्षेत्र के कलाकारों को सम्मानित किया जायेगा |
उन्होंने कहा की हम कलाकारों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं |
मुख्यमंत्री ने कहा की बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है | बिहार
का इतिहास न केवल देश का इतिहास है बल्कि मानव सभ्यता का इतिहास है | मौर्य काल
एवं गुप्त काल भारतीय इतिहास में स्वर्णिम काल मने जाते हैं | उन्होंने कहा की वह
काल स्वर्णिम काल इसलिए मन जाता है की शासन, प्रशासन, रोजगार, व्यवसाय के अतिरिक्त
साहित्य एवं कला को प्रोत्साहित किया गया और यही कारण है की वह युग स्वर्णिम युग कहलाया |
मुख्यमंत्री ने कहा की बिहार में इस वर्ष ऐतिहासिक कला वर्ष आयोजित
हो रहा है और इसके लिये भव्य तैयारी की जा रही है | उन्होंने कहा की यह संयोग है
की यक्षिणी की मूर्ति पाने का सौंवा साल है, बापू के चम्पारण सत्याग्रह का सौवां
साल है और गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती का 350वां वर्ष है | उन्होंने कहा की सभी
कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया जायेगा ताकि आने वाली पीढ़ी को मानव इतिहास और
विरासत की जानकारी प्राप्त हो सके और इससे प्रेरणा ले सके | उन्होंने कहा की आगे
बढ़ने के लिए इतिहास के गौरवशाली अतीत को जानना होगा | उन्होंने कहा की हमारा सपना
है की हम उस गौरवशाली अतीत प्राप्त करें | इतिहास के स्मरण से प्रेरणा मिलती है |
उन्होंने कहा की नालंदा, बिक्रमशिला और तेल्हाड़ा के इतिहास को जिन्दा किया गया है
|
मुख्यमंत्री ने कहा की हमारे यहाँ ज्ञान का इतना बड़ा केंद्र था और
धीरे-धीरे हम इसमें पिछड़ने लगे | हमने इस par ध्यान दिया, साढ़े बारह प्रतिशत बच्चे
स्कुल से बाहर थे |उन्हें स्कूलों में पहुँचाया | लडकियाँ कम स्कुल जाती थी,
साइकिल योजना से मानसिकता में परिवर्तन हुआ, लोगों की सोच में परिवर्तन हुआ और
लड़कियों के अरमानों को भी पंख लगे, यही सब परिवर्तन की बुनियाद है | शिक्षा का
अर्थ सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं है, इसके विभिन्न पहलुओं जैसे कला, संस्कृति,
साहित्य के क्षेत्र में भी संवेदनशील जरुरी है | किताबी ज्ञान को रटकर एवं नौकरी
पाकर धन अर्जित हो सकता है, व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास नहीं हो सकता है |उन्होंने
कहा की शिक्षा के साथ कला एवं संस्कृति पर उनका पूरा ध्यान है | उन्होंने कहा की
पटना म्यूजियम अदभुत है | वहाँ इतने प्रदर्श है की उसके लिये स्थान नहीं है, साथ
ही प्रदर्शित करने के तरीकों की भी जानकारी नहीं है | अभी पटना म्यूजियम में बहुत
को अक्षुण्ण रखते हुये एक अंतर्राष्ट्रीय मानक का बिहार म्यूजियम बन रहा है | यह
म्यूजियम नई पीढ़ी काफी प्रभाव डालेगा | उन्होंने कहा की इस म्यूजियम के लिये
उन्हें काफी कुछ झेलना पड़ा | उन्होंने कहा की बिहार में सामाजिक परिवर्तन की बातें
नहीं होती है सिर्फ राजनितिक बातें होती है | उन्होंने कहा की साइकिल योजना से
सामाजिक सोच परिवर्तन हुआ और शराबबंदी से सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद डाली गयी है
|
मुख्यमंत्री ने कहा की नालन्दा विश्वविद्यालय को यूनेस्को द्वारा
वर्ल्ड हेरिटेज साईट घोषित किया गया | उन्होंने कहा की राजगीर में क्या नहीं है |
वहाँ के साइकिलोपियन वॉल को वर्ल्ड हेरिटेज साईट घोषित कराये जाने पर कार्य किया
जा रहा है | उन्होंने कहा की राज्य सरकार द्वारा ऐसे अनेक ऐतिहासिक रूप से
महतवपूर्ण स्थलों जैसे-तेल्हाड़ा (नालंदा), चेचर (वैशाली), चौसा (बक्सर), बलिराजगढ़
(मधुबनी) पर उत्खनन कार्य किया जा रहा है ताकि वर्तमान तथा भविष्य की पीढ़ी मानव
इतिहास एवं विरासत को जान सके और इससे प्रेरणा ले सके |
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा की आज यक्षिणी की
मूर्ति प्राप्त होने के सौ साल पुरे होने पर कला वर्ष मनाया जा रहा है | उन्होंने
कला प्रेमियों का आह्वान किया की वे कला वर्ष में पूरी भागीदारी दें ताकि कला
प्रेमियों की संख्या अधिकाधिक हो सके |
इसके पूर्व मुख्यमंत्री ने वितिय वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 हेतु
चाक्षुष एवं प्रदर्श कला की विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 42
कलाकारों को बिहार कला पुरस्कार एवं सम्मान के रूप में सम्मान राशी के साथ स्मृति
चिहन, प्रतीक चिहन, प्रमाण-पत्र एवं अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया |
इस अवसर पर बिहार गीत की भी प्रस्तुती की गयी तथा मुख्यमंत्री ने
बिहार कला पुरस्कार परिचय पुस्तिका एवं दीदारगंज यक्षिणी पुस्तिका का लोकार्पण
किया | उन्होंने इस अवसर पर विभिन्न कलाकृतियों की लगायी गयी प्रदर्शनी का भी
अवलोकन किया | इस अवसर पर कला, संस्कृति व् युवा विभाग द्वारा यक्षिणी की खुबसूरत
प्रतिमा का प्रतीक चिहन एवं अंगवस्त्र से मुख्यमंत्री को सम्मानित किया गया |
समारोह को कला, संस्कृति व् युवा विभाग मंत्री श्री शिवचन्द्र राम,
मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, बिहार संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष आलोक धनवा,
बिहार ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री आनंदी प्रसाद बादल, प्रधान सचिव कला,
संस्कृति व् युवा विभाग श्री चैतन्य प्रसाद ने भी संबोधित किया | इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार
वर्मा, सम्मान/पुरस्कार प्राप्त करने वाले कलाकार, कलाप्रेमी तथा विभाग के
पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे |