मुख्यमंत्री
श्री नीतीश कुमार ने आज अधिवेशन भवन में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रथम
स्थापना दिवस समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयोजित
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम सबलोगों के लिए यह
प्रसन्नता का विषय है कि आज बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का प्रथम स्थापना
दिवस मनाया जा रहा है। कुलपति एवं कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के अध्यक्ष ने विस्तार
से पशुपालन, दुग्ध उत्पादन से संबंधित विस्तृत एवं उपयोगी बातें बतायी हैं, इसके लिए मैं दोनों को सबसे पहले बधाई देता हूँ। इस क्षेत्र में राज्य
सरकार की तरफ से जो भी कार्य आरंभ किया गया है, उसके बारे
में उप मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, विभागीय
सचिव ने विस्तार से तथ्यपरक बातें आपलोगों के सामने रखी है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि वर्ष 2008 में प्रथम कृषि रोड मैप बना। 2012 से 2017 तक द्वितीय कृषि रोड मैप एवं 2017 से 2022 तक तृतीय कृषि रोड मैप में कृषि एवं इससे संबद्ध अन्य क्षेत्रों के विकास
के लिए काम किए जा रहे हैं। जमीन, शिक्षा, सिंचाई, पशु, मत्स्य, पर्यावरण जैसे विषयों को कृषि रोड मैप में विशेष स्थान दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जब हमने राज्य में शासन की बागडोर संभाली थी तो उस समय हरित आवरण
क्षेत्र 9 प्रतिशत था। कृषि रोड मैप में इसे 15 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। सर्वे रिपोर्ट आ गया है,
उम्मीद है कि हमलोग इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब होंगे।
आबादी एवं क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से राज्य में हरित आवरण क्षेत्र 17 प्रतिशत तक ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 22
करोड़ से ज्यादा पौधारोपण किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि राज्य के एस0जी0डी0पी0 (स्टेट ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) में कृषि का बड़ा योगदान है और कृषि में
एक तिहाई योगदान पशु एवं मत्स्य संसाधन का है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने
कहा कि आपदा की स्थिति में किसानों का सबसे बड़ा सहारा पशुपालन हो सकता है। कृषि
क्षेत्र की एक तिहाई आमदनी पशुपालन क्षेत्र से आती है, जिसे
हमलोग बढ़ाना चाहते हैं। कृषि रोड मैप के लिए हमलोगों ने 7
लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसमें एक प्रमुख लक्ष्य किसानों
की आमदनी बढ़ाना है। किसान से तात्पर्य हर उस व्यक्ति से है जो कृषि एवं उससे
संबद्ध क्षेत्र के कार्य से जुड़े हों। हम सबका सपना है कि हर भारतीय की थाल में एक
बिहारी व्यंजन जरुर हो, इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा
है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि वर्ष 1927
में वेटनरी कॉलेज की स्थापना हुई, वर्ष 1981
में डेयरी इंस्टीच्यूट की स्थापना की गई थी। हमलोगों ने एक
यूनिवर्सिटी स्थापित करने का मन बनाया और इसके नामकरण, लक्ष्य
के लिए काफी विचार-विमर्श किया। इस विश्वविद्यालय का नाम बिहार पशु विज्ञान
विश्वविद्यालय रखा गया। एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी नाम का व्यापक संदर्भ है। पशु से
संबंधित अध्ययन, शोध से पशुपालन के क्षेत्र में प्रेरणा
मिलेगी। कृषि के क्षेत्र में अनेक कार्य किये जा रहे हैं। बिहार कृषि
विश्वविद्यालय, सबौर की स्थापना पहले ही की गई है। राजेंद्र
कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर के लिए काफी काम किया गया है,
अब यह केंद्रीय विश्वविद्यालय हो चुका है। किशनगंज में 250 एकड़ जमीन के कैंपस में डॉ0 अब्दुल कलाम के नाम पर
कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। उसी के एक हिस्से में आज मत्स्यिकी महाविद्यालय
का शुभारंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि मैं वैज्ञानिकों, कृषि
विशेषज्ञों, प्रोफेसरों से यह निवेदन करुंगा कि कृषि विज्ञान
केंद्र की तरह ही पशु विज्ञान केंद्र की स्थापना करने की जरुरत है। उन्होंने कहा
कि इसके लिए ब्लॉक में एग्रीकल्चर फॉर्म है और जरूरी संसाधन राज्य सरकार उपलब्ध
कराएगी।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि डेयरी के क्षेत्र में काफी काम किया गया है। जिस समय बिहार में कोई काम
नहीं होता था, उस दौर में भी कम्फेड द्वारा किए जा रहे काम की चर्चा होती थी। कॉपरेटिव
सोसायटी बनाकर काम किया जा रहा है। सुधा आज एक ब्रांडनेम बन चुका है। उन्होंने कहा
कि पशुपालन क्षेत्र में को-ऑपरेटिव सोसायटी द्वारा काम किया जा रहा है, जिसमें महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोड़ने की जरुरत है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि अभी अपने संबोधन के दौरान कृषि वैज्ञानिक ने यह जानकारी दी कि देशी नस्ल
के जानवरों का प्रतिशत देश में बिहार का बेहतर है। फ्रीजियन, साहिवाल,
जर्सी नस्ल की गाय बिहार में लोग पाल रहे हैं लेकिन फ्रीजियन एवं
साहिवाल नस्ल की गायें बिहार के वातावरण के अनुकूल अपने आपको नहीं ढाल पाती हैं।
कुछ हद तक जर्सी गाय हमारे प्रदेश के वातावरण के अनुकूल ढल चुकी हैं। देशी नस्ल को
बढ़ावा देना है, इसके लिए देशी सीमन की व्यवस्था करने की
जरुरत है। हाल ही में पूर्णिया में सीमन फ्रोजेन केंद्र की स्थापना की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जानवरों के बेहतर रखरखाव के लिए अच्छे अस्पताल को बनाने की
आवश्यकता है। पहले से अस्पताल हैं लेकिन उसे और प्रभावशाली बनाने की जरुरत है।
जानवरों का इलाज बेहतर ढंग से हो, उसके लिए अस्पताल में
अलग-अलग विभाग बनाकर विशेषज्ञों को बहाल करने की जरुरत है ताकि पशुओं का त्वरित
एवं बेहतर इलाज हो सके और पशु संसाधन की रक्षा हो सके।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि आज स्थापना दिवस के अवसर पर मैं अपनी यह अपेक्षा प्रकट करता हूँ कि पशु
संसाधन का जब तक बेहतर इलाज नहीं होगा,
तब तक आत्मसंतोष नहीं होगा। अस्पताल के लिए जो संसाधन चाहिए,
जो दवा चाहिए, जो सहयोग चाहिए उसके लिए सरकार
तैयार है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि राज्य में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए राज्य के
चार जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जैविक खेती की शुरुआत की गई है। इसे पूरे
राज्य में भी लागू किया जाएगा। इसके लिए इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है। वर्ष 2012
में नालंदा जिले के सोहसराय के पास एक किसान के द्वारा किए गए जैविक खेती को देखने
के लिए अमेरिकी वैज्ञानिक जोसेफ स्टिंग्लेट गए थे। वे सब्जी के विभिन्न प्रकारों
को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा कि बिहार के किसान एग्रीकल्चर
साइंटिस्ट से भी होशियार हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देने से जैविक खाद की आवश्यकता
होगी। वर्मी कंपोस्ट,
पेस्टिसाइट, बॉयो पेस्टिसाइट के लिए गोबर एवं
गोमूत्र की जरुरत होगी। पशुओं का उपयोग सिर्फ दूध के लिए ही नहीं होगा बल्कि जैविक
खाद उत्पादन में उनके गोबर एवं गोमूत्र भी काफी उपयोगी होंगे।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि पशुपालन में काफी संभावना है। पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना
होने से अनुसंधान एवं अध्ययन से नई-नई बातें सामने आएंगी, जिसका फायदा
नीचे कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों को मिलेगा। इससे बिहार को फायदा होगा, साथ ही यहां के किसानों को काफी लाभ होगा। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय
के माध्यम से बिहार देश का एक उदाहरण बनेगा।
मुख्यमंत्री
ने विश्वविद्यालय के प्रतीक चिन्ह,
विश्वविद्यालय के सील का लोकार्पण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की
वेबसाइट का माउस दबाकर शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने मत्स्यिकी महाविद्यालय
किशनगंज का रिमोट के जरिए शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के प्रकाशन,
विजन-2030, वार्षिक रिपोर्ट एवं सोविनियर का
विमोचन किया।
मुख्यमंत्री
ने कृषि वैज्ञानिक डॉ0 अलाउद्दीन अहमद,
डॉ0 एच0आर0 मिश्रा एवं डॉ0 आर0आर0बी0 सिंह को शॉल एवं प्रतीक चिन्ह
देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने सफल पशुपालक किसानों एवं उद्यमियों, जिनमें सीवान के मो0 मुस्ताक अहमद अजीजी, मुजफ्फरपुर
की श्रीमती समुद्री देवी, पटना के श्री संतोष कुमार, भोजपुर के श्री जितेंद्र कुमार सिंह एवं मुजफ्फरपुर के श्री राजू कुमार चौधरी
को भी शॉल एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री का स्वागत बिहार
पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 रामेश्वर सिंह ने पुष्प-गुच्छ, प्रतीक चिन्ह एवं शॉल भेंटकर किया।
कार्यक्रम
को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी,
पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्री पशुपति कुमार पारस, सचिव पशु एवं मत्स्य संसाधन डॉ0 एन0 विजयलक्ष्मी, कुलपति
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय डॉ0 रामेश्वर सिंह, अध्यक्ष
कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल नई दिल्ली डॉ0 ए0के0 श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया।
इस
अवसर पर बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ0 पी0के0 कपूर, राष्ट्रीय
डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ0 आर0आर0बी0 सिंह, राजस्थान
पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 विष्णु शर्मा, मुख्यमंत्री
के सचिव श्री अतीश चंद्रा, कम्फेड की निदेशक श्रीमती शिखा
श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री
गोपाल सिंह, जिलाधिकारी कुमार रवि सहित अन्य वरीय
पदाधिकारीगण, प्राध्यापकगण, वैज्ञानिकगण,
छात्र-छात्राएं, किसान एवं गणमान्य व्यक्ति
उपस्थित थे।